शुक्रवार, 12 सितंबर 2014

September 12, 2014 at 07:37PM

पेज के एडमिन श्री हिमांशु वोरा जी एक जगह इंटरव्यू देने के लिए गए। Interviewer- आपकी योग्यताएं(Qualifications) क्या हैं? Himanshu- जी मैं दो साल से छोटा मुंह और बड़ी बात नाम के पेज का एडमिन हूँ। Interviewer- हे!!! :-o भाई मुझे भी पेज का एडमिन बना दो। Himanshu- आपकी योग्यताएं क्या हैं? :-) ;-) :-p #Adopted

सोमवार, 1 सितंबर 2014

September 01, 2014 at 12:25PM



हमारे देश में अनेको क्रांतियाँ हुई हैं। जैसे हरित क्रांति, कम्प्यूटर क्रांति, और सबसे महत्वपूर्ण देश की स्वतंत्रता क्रांति...इनके अलावा वर्तमान में फेसबुक पर आजकल विविध सामजिक मुद्दों पर भी क्रांतियाँ होती रहती हैं। इन सब क्रांतियों का एक महान उद्देश्य रहा हैं। लेकिन आजकल एक अनोखी क्रांति हो रखी हैं 'सुर्यवन्शम क्रांति'। इस क्रांति के अंतर्गत कुछ कमजोर दिल वाले फसबुकिये जो एक निजी चैनल द्वारा बार बार इस नाम की फिल्म दिखाए जाने से भारी मात्रा में आहत हैं, अपनी प्रोफाइल पिक्चर से लेकर नाम तक सूर्यवंशी करने पर तुले हैं। इस पेज के एक आचार्य भी इस क्रांति की चपेट में हैं। उनसे इनबॉक्स में हुई 'तीखी बात' से ज्ञात हुआ की इनका उद्देश्य इस क्रांति को राष्ट्रीय और फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना हैं। "हमारी संख्या हजार से ऊपर होने पर हम एक पार्टी बनायेंगे जो अगले चुनावो में हिस्सा लेगी। हमारा एजेंडा होगा कि एक नया चैनल शुरू हो जिसपर पुरे दिन यह फिल्म दिखाई जाए। जिससे किसी एक चैनल को इस दायित्व से मुक्ति मिले। " सुर्यवन्शम वोरा ने बताया। "आगे हम चाहेंगे की देश का नाम भारत से बदल कर 'सुर्यवन्शम' किया जाए। प्रत्येक व्यक्ति अपना उपनाम हटा कर सुर्यवन्शम लगाये जिससे देश में सच्ची एकता आये। इसके अलावा हम देश में सुर्यवन्शम हॉस्पिटल, सुर्यवन्शम महाविद्यालय और सुर्यवन्शम ग्रामीण केंद्र खोलेंगे। इसके अलावा देश में सुर्यवन्शम ग्राम सड़क योजना भी शुरू की जायेगी। इस प्रकार देश में प्रत्येक वस्तु सुर्यवन्शम की जायेगी और....." और फिर मैंने लोगआउट कर दिया।

शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

August 29, 2014 at 06:36PM

फ़ोन से जुड़े कुछ तथ्य--- >>कुछ लोग जब रात को अचानक फोन का बैलेंस ख़त्म होजाता है इतना परेशान हो जाते हैं माने जैसे सुबह तक वो इन्सान जिंदा ही नहीं रहेगा जिससे बात करनी थी। >> कुछ लोग जब फ़ोन की बैटरी 1-2% हो तो चार्जर की तरफ ऐसे भागते है जैसे उससे केह रहे हो "तुझे कुछ नहीं होगा भाई ! आँखे बंद मत करना मैं हूँ न ! सब ठीक हो जायेगा। >>कुछ लोग अपने फोन में ऐसे पैटर्न लॉक लगाते हैं जैसे आई एस आई की सारी गुप्त फाइलें उनके फ़ोन में ही पड़ी हो। >>कुछ लोग जब आपसे बात कर रहे होते हैं तो बार बार अपने फ़ोन को जेब से निकालते हैं, लॉक खोलते हैं और वापस लॉक कर देते हैं...वास्तव में वे कुछ देखते नहीं हैं, बस ये जताते हैं कि वो जाना चाहते हैं। >>गलती से फ़ोन किसी दुसरे दोस्त के यहाँ छुट जाए तो ऐसा महसूस होता हैं जैसे अपनी भोली-भाली गर्लफ्रेंड को शक्ति कपूर के पास छोड़ आये हो। >> अगर कोई फ़ोन में टाइप कर रहा हो और आपके देखते ही फ़ोन लॉक कर ले तो समझ लीजिये कि . . . . . . . . बेचारा किसी पेज का एडमिन पोस्ट बना रहा हैं। ;-) :-) #संकलित #ईलयास

गुरुवार, 28 अगस्त 2014

आज के सीरियल

लड़के का अपनी पत्नी के साथ अफेयर हैं लेकिन
वो अपनी बीवी को इसके बारे में बता नहीं सकता,
मज़बूरी में लड़के को छुप छुपकर अपनी पत्नी के साथ
अफेयर करना पड़ता हैं, इससे दुखी होकर वाइफ घर
छोड़ कर अपने ससुराल चली जाती हैं और अपने
हस्बैंड के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगती हैं। इधर एक
दिन बीवी को लड़के के पत्नी के साथ अफेयर के
बारे में पता चल जाता हैं और वो घर छोड़ कर जाने
लगती हैं, लेकिन पत्नी उसे रोक लेती हैं......
यह 'बालिका वधु' सीरियल की कहानी हैं।
वो दुखियारा लड़का जग्या हैं
पत्नी उसकी वर्तमान पत्नी गंगा,
बीवी उसकी दूसरी बीवी गौरी और वाइफ
उसकी पहली वाइफ आनंदी हैं।
अब जब हमारे घर की महिलायें ये सब बड़े चाव से
देखती हैं, हम घर जाते हैं और बाजार से सब्जी लेकर न
जाए और मम्मी/वाइफ आप पर बरस पड़े तो सोच
लीजिये इसमें उनकी कितनी गलती हैं?

मंगलवार, 19 अगस्त 2014

पाप या पुण्य

पाप या पुण्य?

(सुमित मेनारिया)

वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।

सोमवार, 18 अगस्त 2014

कोचिंग

शहर में एक कोचिंग सेंटर हैं 'शाह कोचिंग क्लासेज' जहां साल भर आपके कोर्स की कोचिंग करवाई जाती हैं। यहाँ की सारी फैकल्टी नार्मल हैं लेकिन एक ख़ास बात हैं कि साल के अंत में एक विशेष गुरूजी आते हैं। किसी को ये नहीं पता हैं कि वो गुरूजी कौन हैं? उनकी बस एक ही क्लास होती हैं और वो भी अंतिम, लेकिन ये गारंटी हैं वो अंतिम क्लास ज्वाइन करने के बाद आप आराम से पास हो जाएंगे। आप पुरे साल उस कोचिंग सेंटर से कोचिंग करते हैं। उस नार्मल फैकल्टी से पढ़ते हैं और उस अंतिम क्लास के लिए पूरी मेहनत करते हैं। लेकिन जब आप अंतिम क्लास ज्वाइन करते हैं तो चौंक जाते हैं! ये क्या? ये विशेष गुरुजी तो आपके पड़ोस वाले 'भंडारी सर' हैं। इनका तो अपना खुद का कोचिंग सेंटर हैं। आप क्या करेंगे? शायद आप अपने सारे दोस्तों को इस बारे में बताएँगे और खुद अगले साल 'भंडारी कोचिंग क्लासेज' ज्वाइन कर लेंगे। लेकिन आप ऐसा नहीं करते हैं। आप अपने दोस्तों को भी इस बारे में नहीं बताते हैं और खुद भी अगले साल वापस वही कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लेते हैं। गुरूजी की विशेष क्लास के लिए.... ------------------------ चलिए अब इसी बात को दुसरे तरीके से समझते हैं। वास्तव में कोई नहीं जानता की वो विशेष गुरु कौन हैं? वो भंडारी सर हैं ये बात तो खूद भंडारी कोचिंग सेंटर के स्टूडेंट्स कहते हैं। शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स खुद कभी ये नहीं बताते कि वो भंडारी सर हैं। वे तो ये भी नहीं बताते की वो विशेष गुरु कौन हैं? तो क्या इसका यह मतलब निकाल लिया जाए कि वो भंडारी सर ही हैं और अगर ऐसा हैं तो शाह कोचिंग क्लासेज के स्टूडेंट्स भंडारी क्लासेस से ही कोचिंग क्यों नहीं करते?? काबा में शिवलिंग हैं या नहीं कोई नहीं जानता। लेकिन अगर हैं, तो सारे मुस्लिम जो हज पर जाते हैं, वहां से लौटने के बाद हिन्दू धर्म क्यों नहीं अपना लेते??

शनिवार, 16 अगस्त 2014

श्री कृष्णा के बारे में भ्रम

इंडियन मायथोलोजी मे श्री कृष्णा का जो स्थान है। वो आपको बताता है। शक्ति और बुध्दि का प्रयोग कैसे किया जाये, अवतारो मे श्री राम एक आदर्श पुरूष ,बेटा, पति, भाई ,मित्र का उदाहरण है। पर श्री कृष्णा भी ठीक उसी तरह एक उदाहरण है एक अच्छे मित्र, सखा,भाई,पुत्र के. पर अंतर क्या है दोनो मे ? अंतर है जहा श्री राम आपको आदर्श बनना सिखाते है। वही श्री कृष्णा आपको समय के साथ परिर्वतन और कूटनीति बताते है। श्री कृष्णा को अधिकतर जनमानस गोपियो के साथ रास लीला रचाते या शरारत करते बच्चे के रूप मे जानता है । पर आप गौर कर के देखिऐ आप पायेँगे की वो एक बेहतरीन नीति निर्माणकर्ता और कूटनीति के पहले जानकार थे । अधर्म पर धर्म की विजय तो रामायण भी बताती है । पर कृष्ण लीला आपको बताती है की समय के साथ धर्म भी बदलता है ! और अधर्म भी बढता है तो आप को अपनी नीतिया बदलनी पडती है ! अगर सतयुगी प्रभु श्री राम त्रेतायुग मे उन्ही नीतियो के सहारे चलता तो क्या वो उन छलो को पहचान पाता ? क्या भीम जरासंध जैसे बलशाली को मार पाता? क्या लक्ष्यागृह से कोई बच पाता ? क्या अर्जुन कभी हिम्मत कर पाता अपनो के विरूद्ध युद्ध की ? दरसल कुछ नास्तिक सवाल खडा करते है अवतार पर पर वो भूल जाते है की चाहे वो अवतार ना थे चाहे वो भगवान ना थे चाहे सब कुछ काल्पनिक है पर फिर वो गलत के खिलाफ लडना तो सिखाते है । आप वैज्ञानिकता की बाते करते है । पर अगर कही गलत होता है तब आप चुपचाप सर झुका कर निकल लेते है । दरसल विषय आपकी नास्तिकता या आस्तिकता नहीँ. विषय है उन करोडो की उन भावनाओ को चोट पहुचाने का आप अंधविश्वास खत्म किजिऐ कोई दिक्कत नहीँ पर विश्वास पर प्रहार करने के आप अधिकारी नहीँ