आँखे भले हम मीच ले, पर दिन तो न ढलता हैं। सुबह-अख़बार-चाय और कहना, सब ऐसे ही चलता हैं। यह चक्र हैं दुनिया गोल हैं सब वही पर आता हैं। जो करता वो भी भरता हैं, जो देखे वो भी चुकाता हैं। सूरज को दीपक दिखाते, और अंधियारी रात करते हैं। हम कद में छोटे सही, बड़े ख़यालात करते हैं। कोई हो शहंशाह घर का, हम डट कर मुलाकात करते हैं। छोटा मुंह हैं, मगर बड़ी बात करते हैं।
शुक्रवार, 12 सितंबर 2014
September 12, 2014 at 07:37PM
सोमवार, 1 सितंबर 2014
September 01, 2014 at 12:25PM
शुक्रवार, 29 अगस्त 2014
August 29, 2014 at 06:36PM
गुरुवार, 28 अगस्त 2014
आज के सीरियल
लड़के का अपनी पत्नी के साथ अफेयर हैं लेकिन
वो अपनी बीवी को इसके बारे में बता नहीं सकता,
मज़बूरी में लड़के को छुप छुपकर अपनी पत्नी के साथ
अफेयर करना पड़ता हैं, इससे दुखी होकर वाइफ घर
छोड़ कर अपने ससुराल चली जाती हैं और अपने
हस्बैंड के साथ ख़ुशी ख़ुशी रहने लगती हैं। इधर एक
दिन बीवी को लड़के के पत्नी के साथ अफेयर के
बारे में पता चल जाता हैं और वो घर छोड़ कर जाने
लगती हैं, लेकिन पत्नी उसे रोक लेती हैं......
यह 'बालिका वधु' सीरियल की कहानी हैं।
वो दुखियारा लड़का जग्या हैं
पत्नी उसकी वर्तमान पत्नी गंगा,
बीवी उसकी दूसरी बीवी गौरी और वाइफ
उसकी पहली वाइफ आनंदी हैं।
अब जब हमारे घर की महिलायें ये सब बड़े चाव से
देखती हैं, हम घर जाते हैं और बाजार से सब्जी लेकर न
जाए और मम्मी/वाइफ आप पर बरस पड़े तो सोच
लीजिये इसमें उनकी कितनी गलती हैं?
मंगलवार, 19 अगस्त 2014
पाप या पुण्य
पाप या पुण्य?
(सुमित मेनारिया)
वो मेले में पिंजरा लेकर खड़ा था, पंछियों से भरा पिंजरा। वो उन्हें बेच नहीं रहा था। आप उसे पैसे दीजिये और वो उन्हें मुक्त कर देगा।
"इन्हें उड़ाने से क्या होगा?" मैंने पूछा।
"पुण्य मिलेगा, साहब!"
"और तुम इन्हें वापस पकड़ लाओगे?"
"हाँ जी।" वो धीरे से बुदबुदाया।
"तो तुम्हे पाप नहीं लगेगा।"
"लगेगा लेकिन पापी पेट के लिए सब करना पड़ता हैं।"
मैंने अपनी बंदुक निकाली और उसे गोली मार दी।